Wednesday, March 4, 2009

Vaishnava Janato by Narasimha Mehta


वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीड पराई जाणे रे,
पर दु:खे उपकार करे तोये मन अभिमान न आणे रे,

सकल लोकमां सहुने वंदे निंदा न करे केनी रे,
वाच काछ मन निश्चल राखे धन धन जननी तेनी रे,

समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी, परस्त्री जेने मात रे,
जिह्वा थकी असत्य न बोले, परधन नव झाले हाथ रे,

मोह माया व्यापे नहि जेने, दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे,
रामनाम सुताली लागी, सकल तीरथ तेना तनमां रे,

वणलॊभी ने कपटरहित जे, काम क्रोध निवार्या रे,
भणे नरसैयॊ तेनु दरसन करतां, कुण एकोतेर तार्या रे ॥

- नरसिंह महेता

No comments:

Post a Comment